Eye Flu : क्यों इतनी तेजी से फैल रहा कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू, काला चश्मा पहनने से मिलेगा कितना लाभ? जानें सबकुछ
कंजक्टिवाइटिस जिसे आमतौर पर आईफ्लू के नाम से जाना जाता है, मौसमी चुनौतियों और मानसून के चलते इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अकेले महाराष्ट्र में कंजक्टिवाइटिस के 39,000 मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो हाल ही में हुई बारिश के कारण जलभराव हुआ, और रुके हुए पानी में जलजनित बैक्टिरिया और वायरस जो आंखों के संक्रमण की वजह बनते हैं, वो ज्यादा पैदा हो रहे हैं. कंजक्टिवाइटिस के कुछ आम लक्षणों में दोनों या एक आंख का लाल होना या उनमें खुजली होना और आंखों से बहुत ज्यादा पानी बहना शामिल है.
क्या होता है कंजक्टिवाइटिस?
कंजक्टिवाइटिस दो शब्दों कंजक्टाइवा और आइटिस से मिलकर बना है, जहां कंजक्टाइवा यानी आखों की वह पतली झिल्ली जो सफेद भाग को ढंकती है और आइटिस यानी सूजन. कंजक्टिवाइटिस में आंखों का लाल होना और पानी बहना सबसे आम लक्षण है.
कंजक्टिवाइटिस की वजह
कंजक्टिवाइटिस की कुछ आम वजहों में वायरस, बैक्टिरिया, एलर्जी और कुछ केमिकल का आंखों में चला जाना होता है. वर्तमान में जो आंखों का संक्रमण फैल रहा है, इसकी वजह जलजनित वायरस और बैक्टिरिया हैं.
देश के कई हिस्सों में बढ़ रहे मामले
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि राजधानी में हुई बारिश के बाद से आई फ्लू के मामलों में काफी इज़ाफा देखने को मिला है और रोजाना करीब 80-100 मरीज आ रहे हैं . इसी तरह पुणे में एक हफ्ते में 2500 मामले और बुलढाना जिले (महाराष्ट्र) में 6,693 मामले दर्ज किए गए हैं.
दिल्ली में 31 जुलाई तक स्कूल बंद रखने का अनुरोध
इस सप्ताह की शुरुआत में, एमसीडी शिक्षकों ने मेयर शैली ओबेरॉय को पत्र लिखकर बच्चों में संक्रामक बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करते हुए 31 जुलाई तक स्कूलों को बंद करने का अनुरोध किया था. यह पत्र एमसीडी शिक्षक संघ, शिक्षक न्याय मंच द्वारा लिखा गया था, जिसमें ओबेरॉय से एमसीडी स्कूलों में आंखों के संक्रमण के बड़े पैमाने पर मामलों का संज्ञान लेने के लिए कहा गया था.
क्या काला चश्मा कंजक्टिवाइटिस को रोकता है?
डॉक्टरों के मुताबिक, चश्मा पहनने से जलन को रोकने में मदद मिलती है और आंसू और आंखों में होने वाली चुभन थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन इसके पहनने से अगर यह सोचते हैं कि संक्रमण का प्रसार रुक जाएगा तो यह सोच गलत है. चश्मा पहनकर और भीड़-भाड़ वाली जगहों या कार्यालयों में जाने से दूसरों को संक्रमण नहीं होगा यह पूरी तरह से गलतफहमी है.
इतनी तेजी से क्यों फैल रही बीमारी?
विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक चलने वाले मानसून के मौसम ने उमस बहुत बढ़ा दी है जो बैक्टीरिया और वायरस के पनपने के लिए आदर्श माहौल देता है. ऐसे समय में, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और दूषित वातावरण के संपर्क से रोगाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकते हैं.
क्या करें कंजक्टिवाइटिस के मरीज़?
वायरल कंजक्टिवाइटिस के ज्यादातर मामलों में आमतौर पर बगैर किसी उपचार के 7 से 14 दिनों में मरीज ठीक हो जाते हैं. हालांकि, मौसमी वायरस से उत्पन्न मामलों में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ताकि वह ऐसे संक्रमणों के लिए उपयुक्त दवाएं लिख दें और तकलीफ से बचा जा सके. इसके साथ ही रोगी बुनियादी रोकथाम के तौर पर अपने कपड़े, रुमाल और इर्द गिर्द की जगह को साफ सुथरा रखे, बार-बार हाथ धोए और यह सुनिश्चित करे कि उससे संक्रमण फैले नहीं.
THANX ALL
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