जन आधार में 4 शेर, 6 भालू परिवार का हिस्सा:पेंशन के लिए 15 फर्जी PPO भी जोड़े; मुखिया की फोटो की जगह गुलाब का फूल
झुंझुनूं जिले में जन आधार कार्ड में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। एक ही कार्ड में 16 फर्जी नाम जोड़ दिए गए हैं। जोडे़ गए नामों में इंसानों के साथ-साथ जानवरों के नाम भी हैं। इसके अलावा फोटो में भालू, शेर, फूल आदि की फोटो अपलोड की गई है।
मामला जिले की मलसीसर तहसील के आनंदपुरा गांव का है।
आनंदपुरा गांव निवासी की कल्पना (45) पत्नी सुरेंद्र कुमार ने 18 अगस्त शुक्रवार को को जिला कलेक्टर के नाम प्रार्थना पत्र देकर उसके जन आधार कार्ड में करेक्शन की गुहार लगाई है। कल्पना के परिवार में 4 लोग हैं। खुद कल्पना, पति सुरेंद्र, बेटा अक्षय और बेटी अंकिता।
4 सदस्यों का परिवार, 16 फर्जी नाम, फोटो में गुलाब, शेर, भालू
लेकिन उसके जन आधार में 16 अतिरिक्त नाम जोड़ दिए गए हैं। बड़ी बात ये है कि एक सदस्य का नाम भालू लिखा है। फोटो जिसके फोटो में जंगल का भालू दिखा दिया गया है। इसके अलावा इन फर्जी नामों की फोटो के रूप में शेर, भालू और गुलाब के फूल दर्शाए गए हैं।
कल्पना का कहना है कि उसे इन अतिरिक्त नामों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही उसका या उसके परिवार का इन नामों से कोई सरोकार है। कल्पना ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा कि यह फर्जीवाड़ा होने से उसे और उसके परिवार को जन आधार के लाभ भी नहीं मिल रहे हैं।
उसने जन आधार में गलत विवरण दर्ज करने पर आपत्ति जताई है और इस मामले की जांच की मांग की है।
फर्जीवाड़े की हद यह है कि कल्पना के खाते में जो 16 फर्जी नाम जोड़ दिए गए हैं उनमें भालू समेत 15 लोगों के पीपीओ नंबर भी जारी कर दिए गए हैं, ताकि इन सभी लोगों की पेंशन शुरू हो सके।
सरकारी स्कीम में पेंशन पाने के लिए जन आधार में सदस्यों के पीपीओ नंबर जोड़े जाते हैं। कल्पना के जन आधार में जोड़े गए 15 पीपीओ नंबर्स में से 14 के डेटा उदयपुर जिले के कोटरा गांव से उठाए गए हैं जबकि एक प्रतापगढ़ के धरियावद से लिया गया है। दो-तीन मेंबर का तो सत्यापन तक 8 अगस्त के बाद हो चुका है।
फर्जीवाड़े की हद, कल्पना को बनाया कल्पना का बेटा
फर्जीवाड़े की हद ये है कि कल्पना को कल्पना का बेटा बना दिया गया है, इसके अलावा भगवती देवी, मोहरी देवी, सुरेश चंद्र, मोहरी देवी, अमर सिंह, विमला, कल्पना अंकिता, कल्पना अक्षय जैसे नामों को परिवार का सदस्य दिखाकर खातीपुरा, आधार, कमल, हंसराज, भालू, सक आदि को भाई बना दिया गया है, इसके अलावा रशीम, किट्टू, रामजीलाल, कृष्ण को बहन बना दिया गया है।
एक महिला के नाम के साथ गुलाब की फोटो लगाकर एक फर्जी नाम जोड़ दिया गया है।
एक जन आधार कार्ड में 15 से ज्यादा फर्जी आधार नंबर जोड़े गए हैं। यह सिर्फ एक जन आधार का मामला है। ऐसे न जाने कितने फर्जी कार्ड बनाकर कितने लोगों को पेंशन के लिए पात्र बना दिया गया है, सरकार की कई स्कीम्स का फायदा उठाने के लिए इस तरह का गोल-माल किए जाने का अंदेशा है।
बड़ा सवाल- बिना जांचे कैसे जारी कर दिया जन आधार
सबसे बड़ा सवाल यह है कि संबंधित अधिकारियों ने बिना जांच किए ही फूल के फोटो वाले जन आधार कार्ड को जारी कैसे कर दिया। जन आधार कार्ड में नाम जोड़ने या फिर करेक्शन होने के बाद तीन स्तर की जांच की जाती है।
इस जांच में जानकारी सही पाए जाने के के बाद ही कार्ड लाभार्थी को जारी किया जाता है। लेकिन तीनों ही स्तर पर बिना चेक किए जन आधार कार्ड जारी कर दिया गया। ये सभी फर्जी नाम 8 अगस्त 2023 को जोड़े गए हैं।
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद इसे रद्द कर दिया गया है। अधिकारी जांच पड़ताल में जुटे हुए हैं।
ऐसे खुला फर्जीवाड़ा
दरअसल, झुंझुनूं के हरिपुरा गांव के पटवारी ने फसल के मुआवजे को लेकर आनंदपुरा गांव की कल्पना को फोन किया था। कल्पना किसान परिवार से आती है। जन आधार में परिवार की मुखिया होने के नाते फसल मुआवजे के लिए उसे दस्तावेज लेकर बुलाया गया था।
कल्पना और उसका परिवार दस्तावेज लेकर ग्राम पंचायत हरिपुरा पहुंचा तो ग्राम सेवक ने दस्तावेज को चेक किया। इस दौरान जन आधार कार्ड में 4 के स्थान पर 20 सदस्य मिले। इनमें 16 नाम फर्जी थे। ग्राम सेवक ने प्रथम स्तरीय जांच पर ही कार्ड को निरस्त कर दिया। अगर पटवारी मुआवजे के कागज नहीं मंगवाए होते तो मामला सामने नहीं आता।
अधिकारी बोले- नागरिक की SSO आईडी से नाम जोड़े, जांच करेंगे
जिला सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग, झुंझनूं के संयुक्त निदेशक घनश्याम गोयल ने कहा- ये मामला आज ही मेरे संज्ञान में आया है। कल्पना नाम की महिला मुखिया के जन आधार कार्ड में नागरिक की एसएसओ आईडी से कुछ मेंबर्स को जोड़ने की गलत कोशिश की गई है।
यह किस एसएसओ आईडी से किया गया है इसकी जांच के लिए मामला जयपुर भेजा गया है। जल्द ही यह पता चल जाएगा कि किस एसएसओ आईडी से यह फर्जीवाड़ा किया गया है। यह आईपीसी की धारा 420 का मामला बनता है। जो भी प्रावधान है उनके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
फिलहाल, पीपीओ नंबर किस मकसद से जोड़े गए, किसने जोड़े, इनके आधार नंबर कहां से हासिल हुए, जोडे़ गए सदस्य जिंदा हैं या मृत लोग हैं, जन आधार में नाम जोड़ने का प्रोसेस क्या रहा यह सब जांच का विषय है। पहली नजर में मामला बड़े स्तर के फर्जीवाड़े का लग रहा है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक ने जांच के लिए मामला जयपुर भेज दिया है।
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